Kalam ki Atmakatha Essay in Hindi: मैं एक पेन हूँ। मेरा जन्म एक फैक्ट्री में हुआ था, जहाँ हजारों-लाखों पेन बनाए जा रहे थे। मैं भी उन्हीं में से एक था, बिल्कुल नया और चमकदार। मेरा शरीर प्लास्टिक का बना था, अंदर नीले रंग की स्याही भरी थी, और मैं धातु की नोक के साथ तैयार था। जब मैं फैक्ट्री की मशीन से निकला, तो मुझे नहीं पता था कि मेरा जीवन कैसा होगा और मैं किन-किन हाथों से होकर गुजरूँगा। लेकिन एक बात तय थी, मैं अपने मालिक की आवाज़ बनूँगा, उसके विचारों और भावनाओं को कागज पर उतारूँगा।
Kalam ki Atmakatha Essay in Hindi | मेरी पहली मुलाकात
फैक्ट्री से निकलने के बाद, मुझे एक दुकान पर रखा गया। वहाँ मेरे जैसे कई और पेन भी थे, जो अपने नए मालिक का इंतजार कर रहे थे। एक दिन, एक छोटा बच्चा अपने पिता के साथ दुकान पर आया। उसकी आँखों में चमक थी, जैसे वह कुछ खास खरीदने आया हो। उसने मुझे उठाया, मेरी नोक पर ध्यान से देखा और फिर मुस्कुराते हुए कहा, “पापा, मुझे यही पेन चाहिए।” उस पल मुझे महसूस हुआ कि मेरा सफर अब शुरू हो चुका था।
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विद्यालय के दिन
उस बच्चे ने मुझे अपनी स्कूल बैग में रखा और अगले दिन स्कूल लेकर गया। मैं उसकी उँगलियों में लिपटा, उसकी कॉपी के पन्नों पर दौड़ने लगा। कभी वह गणित के सवाल लिखता, कभी हिंदी की कविताएँ। मैं उसकी मेहनत और लगन का साथी बन गया था। परीक्षा के दिनों में जब वह घबराता, तो मैं उसके हाथों में थरथराता, लेकिन जैसे ही वह लिखना शुरू करता, उसकी घबराहट कम हो जाती। उसके हर शब्द के साथ मैं उसके सपनों और भावनाओं का हिस्सा बनता जा रहा था।
मेरे जीवन का महत्व
आप शायद सोचते होंगे कि मैं सिर्फ एक लिखने का साधन हूँ। लेकिन जब मैं किसी के हाथों में होता हूँ, तो मैं उसके विचारों, उसकी भावनाओं और उसकी सोच को आकार देता हूँ। जब कोई कवि मुझे पकड़ता है, तो मैं उसके दिल की गहराइयों से निकले शब्दों को कागज पर उतारता हूँ। जब कोई विद्यार्थी मुझे पकड़ता है, तो मैं उसकी मेहनत और उसके सपनों का साथी बनता हूँ।
एक दिन, वही बच्चा जिसने मुझे खरीदा था, अपनी माँ को एक पत्र लिख रहा था। उसकी आँखों में आँसू थे, क्योंकि वह अपने दिल की बात अपनी माँ को कहना चाहता था। मैं उसकी उँगलियों में था और उसके हर भाव को महसूस कर रहा था। उसकी भावनाएँ मुझसे होकर कागज पर उतर रही थीं। उस समय मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ स्याही से लिखने वाला उपकरण नहीं हूँ, बल्कि मैं उन भावनाओं का माध्यम हूँ, जो इंसान के दिल में बसती हैं।
कठिन दौर
लेकिन मेरे जीवन में सब कुछ हमेशा आसान नहीं था। एक दिन वह बच्चा जब बड़ा हो गया, तो उसने मुझे छोड़कर एक नया पेन खरीद लिया। मैं एक कोने में पड़ा रहा, धूल में डूबा हुआ। मेरे अंदर की स्याही सूखने लगी थी, और मुझे लगा कि अब मेरा सफर खत्म हो गया है। वह दिन मेरे लिए बहुत कठिन थे, क्योंकि मुझे ऐसा लगने लगा था कि अब मेरी कोई जरूरत नहीं रही।
मेरी कहानी का अंत
अब मैं थोड़ा पुराना हो गया हूँ। मेरी स्याही खत्म हो चुकी है, मेरी नोक भी अब पहले जैसी तेज़ नहीं रही। शायद अब मेरा उपयोग धीरे-धीरे कम हो जाए, लेकिन मुझे गर्व है कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी में कई लोगों के साथ कई कहानियाँ लिखी हैं। मैंने उनकी भावनाओं को कागज पर उतारा है, उनके सपनों को साकार किया है।
मेरा सफर चाहे अब खत्म होने वाला हो, लेकिन मेरी यादें हमेशा उन कागजों में बसी रहेंगी, जिन पर मैंने अपनी स्याही से जीवन लिखा है। और जब भी कोई नया पेन किसी के हाथों में आएगा, तो वह भी मेरी तरह एक नई कहानी शुरू करेगा।
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